रेवाड़ी (सुरेन्द्र वशिष्ठ):नगर परिषद द्वारा शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लाख दावे करने के बावजूद शहर की सबसे व्यस्ततम पंजाबी मार्कीट में अतिक्रमण चरम सीमा पर है, जिसके कारण इस मार्कीट से अब दुपहिया वाहन तो क्या, पैदल राहगीरों का निकलना भी दुश्वार हो गया है और प्रतिस्पर्धा की आड़ में दुकानदारों की नप प्रशासन से कथित मिलीभगत के चलते इस मार्कीट का स्वरूप ही बदलकर रह गया है। ऐसे में दिनभर मार्कीट में जाम लगा होने के कारण लोगों को या तो घंटों फंसे रहना पड़ता है या फिर उन्हें अपना मार्ग बदलना पड़ता है। शहर के प्रबुद्ध नागरिकों का आरोप है कि नप प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर शहर के अन्य हिस्सों में कभी-कभार जरूर कार्रवाई करके अपने कत्र्तव्य की इतिश्री समझ लेता है, लेकिन करीब 35 वर्षों से चली आ रही इस मार्कीट में शायद ही आज तक नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण संबंधी कोई कार्रवाई अमल में लाई गई हो।
सिमटकर रह गया रोड:बताया जाता है कि वर्षों पूर्व जब यह मार्कीट स्थापित हुई थी, उस समय इस मार्कीट में 18 फुट का रोड था, लेकिन वर्तमान में यह रोड मात्र 3-4 फुट सिमटकर रह गया है, क्योंकि यहां दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे 10 फुट तक सामान रखकर अतिक्रमण किया हुआ है।
सिमटकर रह गया रोड:बताया जाता है कि वर्षों पूर्व जब यह मार्कीट स्थापित हुई थी, उस समय इस मार्कीट में 18 फुट का रोड था, लेकिन वर्तमान में यह रोड मात्र 3-4 फुट सिमटकर रह गया है, क्योंकि यहां दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे 10 फुट तक सामान रखकर अतिक्रमण किया हुआ है।
एक-एक फुट के लिए होता है झगड़ा:
इतना भारी अतिक्रमण करने के बावजूद दुकानदारों में एक-एक फुट जगह के लिए आपस में अकसर झगड़ा रहता है और कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि मामला पुलिस तक पहुंच जाता है, लेकिन पंजाबी समुदाय से होने के कारण पुलिस भी इनका आपसी समझौता करवाकर मामले को खत्म करवा देती है, क्योंकि इस मार्कीट में कुछ प्रभावशाली दुकानदारों के मंत्री जी से अच्छे संबंध हैं और वे उन्हें जिताने में पूरी भूमिका निभाते हैं।
चोर गिरोह सक्रिय:
अतिक्रमण की समस्या के साथ-साथ इस मार्कीट में इन दिनों चोर गिरोह काफी सक्रिय है, जिसके कारण यहां आने वाले लोगों खासकर महिलाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दुकानदारों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण के कारण रोड इतना संकड़ा हो गया है कि चोर गिरोह के सदस्य आसानी से यहां खरीददारी के लिए आने वाली महिलाओं का का सामन उड़ा ले जाते हैं और उसे लेकर ग्राहक व दुकानदारों में अकसर झगड़ा हो जाता है।
एक माह पहले गर्माया था मामला:
करीब एक माह पूर्व 5-6 युवक कायस्थवाड़ा से गोकल बाजार जाने के लिए इस मार्कीट में अल्टो गाड़ी लेकर आ गए। उन्होंने जब यहां से अपनी गाड़ी निकलनी चाही तो दुकानदारों व उन युवकों में भारी झड़प हो गई और वे काफी गर्मा-गर्मी के बाद यहीं से अपनी गाड़ी निकलकर ले गए। इस बात से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मार्कीट में कितना भारी अतिक्रमण है और यदि नगर परिषद चाहे तो आसानी से रोड को चौड़ा किया जा सकता है।
नप प्रशासन को है सारी खबर:
हालांकि नगर परिषद को यहां बढ़ रहे अतिक्रमण के बारे में सब कुछ पता है, लेकिन नप अधिकारी चाहकर भी इस मार्कीट में कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि जब भी यहां कोई कार्रवाई करने का प्रयास किया जाता है तो प्रभावशाली दुकानदारों के इशारे पर नप पर दबाव आ जाता है।
क्या कहते हैं मार्कीट प्रधान:
आपसी गुटबाजी के चलते पंजाबी मार्कीट में दो संगठन काम कर रहे हैं, जिनमें एक ओर जहां पंजाबी मार्कीट एसोसिएशन है, वहीं दूसरी ओर पंजाबी मार्कीट ट्रेडर्स। अतिक्रमण की समस्या पर दोनों संगठनों के अलग-अलग विचार हैं। इनमें एसोसिएशन के साथ जहां करीब 135 दुकानदार हैं, वहीं 45 दुकानदार ट्रेडर्स के साथ हैं। ट्रेडर्स के प्रधान महेश खुराना का कहना है कि दीवाली का सीजन होने के कारण कुछ लोगों ने अपनी दुकानों के आगे सामान रखा हुआ है और इसे लेकर उन्होंने दुकानदारों को अपना सामान हटाने संबंधी निर्देश भी दे दिए हैं। वहीं दूसरी ओर एसोसिएशन के प्रधान एमएम सपड़ा कहते हैं कि उनकी मार्कीट में ऐसी कोई समस्या नहीं है।
मंत्री के समक्ष रखी थी समस्या:
यहां गौरतलब है कि कांग्रेस कमेटी के पूर्व जिलाध्यक्ष कोटूराम धमीजा ने गत दिनों पंजाबी समाज द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में बिजली मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के समक्ष शहर में बढ़ रही अतिक्रमण की समस्या को रखते हुए कहा था कि वे स्वयं शहर के बाजारों का पैदल दौरा कर देखें कि लोगों को आवागमन में कितनी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।
क्या कहते हैं नप सचिव:
जब इस संबंध में नप सचिव टीआर शर्मा से बात की गई तो उन्होंने माना कि पंजाबी मार्कीट में भारी अतिक्रमण है। मगर जल्द ही इस संबंध में सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि उन पर कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं होता और न ही किसी तरह का राजनीतिक दबाव स्वीकार करते हैं।
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