'पैंतरेबाजी जमकर अपना काम कर रही है। कांग्रेसी नेता मौका मिलते ही पैंतरा बदलने में माहिर हो चुके हैं। करीब दो वर्ष पूर्व वित्त विभाग हाथ से निकलने के बाद अपनी ही सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाने व दक्षिणी हरियाणा के हितों की लड़ाई में राव इंद्रजीत सिंह का साथ देने की बात कहने वाले प्रदेश के बिजली मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने एक बार फिर पैंतरा बदल दिया है। अब उन्होंने साफ कर दिया है कि इंद्रजीत के कांग्रेस में रहने या नहीं रहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अप्रत्यक्ष रूप से 'डिप्टी सीएम की भूमिका निभा चुके कैप्टन अजय सिंह यादव ने लगातार राव इंद्रजीत सिंह व 'रामपुरा हाउस के विरोध की राजनीति की है। गत लोकसभा चुनावों में जब कांग्रेस ने परिसीमन के आधार पर बने नए
बार-बार बदलते रहे सुर
गुडग़ांव लोकसभा क्षेत्र से इंद्रजीत को कांग्रेस ने टिकट थमाया, तो अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी का कैप्टन ने साथ देना जरूरी नहीं समझा। हालांकि इंद्रजीत चुनाव जीतने में कामयाब हो गए। कभी सीएम को अपना 'क्लासमैट मानने वाले राव इंद्रजीत सिंह ने सांसद बनने के बाद प्रदेश सरकार का विरोध नहीं किया, लेकिन लोकसभा चुनावों के करीब आने के बाद उन्होंने विरोध की राजनीति करना शुरू कर दिया। इसका बड़ा कारण यह रहा कि इंद्रजीत को सीएम खेमे की ओर से कोई 'भावÓ नहीं दिया जा रहा था। सीएम के कार्यक्रमों तक में उनकी उपेक्षा होने लगी थी। दूसरी ओर, सीएम चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इंद्रजीत के राजनैतिक विरोधियों को महत्व देना शुरू कर दिया था। इंद्रजीत ने प्रदेश सरकार के खिलाफ दक्षिणी हरियाणा की उपेक्षा के आरोपों को लेकर मोर्चा खोलना शुरू कर दिया था। करीब 2 वर्ष पूर्व अचानक सीएम ने 'डिप्टी सीएमÓ कद छोटा करते हुए उनसे वित्त विभाग वापस ले लिया। हालांकि लगातार 6 बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतने वाले कैप्टन प्रदेश सरकार में सबसे वरिष्ठ नेता रहे हैं। वित्त विभाग हाथ से निकलने के साथ ही कैप्टन ने भी सीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। विभाग वापस पाने के लिए उन्होंने 'दिल्ली दरबार तक में फरियाद लगाने का प्रयास किया, लेकिन हुड्डा की 'डिप्लोमैसी के सामने उनकी एक नहीं चल पाई। इसके बाद कैप्टन ने राव इंद्रजीत सिंह के साथ मिलकर दक्षिण हरियाणा के हितों की लड़ाई लडऩे की घोषणा कर डाली। कैप्टन ने इंद्रजीत को नेतृत्व भी स्वीकार कर लिया।
बाद में जब कैप्टन को लगा कि सीएम खेमे के विरोध से वे टिक नहीं पाएंगे, तो एक बार फिर पाला बदलते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार की महिमा का गुणगान शुरू कर दिया। दक्षिणी हरियाणा में सीएम की रैली कराने के लिए भी जब गत वर्ष उन्होंने सीएम को बुलाने की घोषणा की, तो ऐन मौके पर सीएम के इंकार करने के बाद कैप्टन की हालत एक बार फिर खराब हो गई। उन्होंने फिर से पैंतरा बदलते हुए प्रदेश सरकार पर दक्षिणी हरियाणा की उपेक्षा के आरोप लगाने शुरू कर दिए।
मना करने के बाद कराई रैली
कुछ समय बाद उनकी गाड़ी एक बार फिर सीएम के साथ पटरी पर आई, तो उन्होंने सीएम की रैली भी करा दी। मीरपुर रीजनल सैंटर को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की मांग भी किसी तरह उन्होंने पूरी करा ली। अब जबकि, इंद्रजीत प्रदेश सरकार को आरोपों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं, इंद्रजीत सरकार के बचाव में इंद्रजीत पर ही निशाना साध रहे हैं। खुद इस क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगा चुके कैप्टन अब पैंतरा चेंज करते हुए भेदभाव की बात को गलत करार देने लगे हैं। राजनैतिक विशलेषकों के अनुसार कैप्टन कहीं न कहीं दबाव में इस तरह की राजनीति कर रहे हैं।
इंद्रजीत जाएं तो बने कुछ बात
कैप्टन के लिए किसी भी सूरत में रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र छोडऩा आसान नहीं है। उनका प्रयास यही रहेगा कि वे लगातार 7वीं बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर एक बड़ा रिकार्ड कायम करें। वे अपने बेटे, लालू यादव के दामाद व प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चिरंजीव राव को गुडग़ांव लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की फिराक में हैं। कांग्रेस की टिकट पर यह तभी संभव है, जब या तो इंद्रजीत खुद कांग्रेस छोड़ दें या फिर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा जाए। यही कारण माना जा रहा है कि वे इंद्रजीत के कांग्रेस में रहने या नहीं रहने से किसी तरह का कोई फर्क पडऩे की बात कर रहे हैं।
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