रेवाड़ी(दीपा भारद्वाज): दशहरा-दीपावली का सीजन शुरू होते ही बाजारों में रगं-बिरगें मिठाइयों के स्टाल सजने लगे है। वहीं मिठाइयों की शुद्वता की जांच करने वाला विभाग कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। बाजारों में नकली मिठाइयों की दुकानें धडल्ले से देखी जा सकती हैं वहीं देसी घी के नाम पर भी दौ सौ रूपये से लेकर ढाई सौ रूपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। स्वास्थय विभाग ने इन दुकानों से नजराना वसूल कर उपभोक्ताओं के स्वास्थ के साथ खिलवाडं करने की पुरी अनुमति दे रखी है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग ने अभी तक किसी भी दुकान के नमुने नहीं लिए है। आए दिन समाचारपत्रों में नकली खोआ, घी व मिठाई मिलने की खबरें प्रकाशित हो रही है, उसके बावजूद भी विभाग हरकत में नहीं आया है। बाजारों में बनने वाली अधिकतर मिठाइयां दूध पाउडर व अन्य पदार्थों को मिलाकर तैयार की जा रही है। बर्फी के अलावा रसगुल्ले, गुलाब जामुन और यहां तक की मिठाइयों का राजा पेठा भी्र गले-सड़े पदार्थों से बनाया जा रहा है। बाजारों में जहां अच्छी बर्फी जहां 260 से 280 रूपए तक मिल रही है वहीं बर्फी 150 से शुरू होकर 170 रूयए तक भी उपलब्ध हो रही है इसी तर्ज पर जहां देसी घी पांच सौ से लेकर छ: सौ रूपये प्रतिकिलोग्राम तक मिल रहा है वहीं गलियों की दुकानों में दो सौ से लेकर ढाई सौ रूपये प्रति किलोग्राम तक मिल रहा है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन बर्फीयों व घी आदि में कितनी शुद्धता होगी और यह स्वास्थ पर कितना बुरा प्रभाव डालेगी। स्थानीय मौहल्ला कुतुबपुर में कई गोदामों में धड़ल्ले से नकली मिठाइयां बन रही है और विभाग इसके प्रति पूरे तरीके से आंखें बंद किए हुए है। विभाग की नाकामी के चलते इसका दुश्परिणाम लोगों को अपने स्वास्थ के साथ खिलवाड कर चुकाना पड़ रहा है। इस संबन्ध में जब जिला स्वास्थ विभाग अधिकारी से बात की गई तो उन्होने कहा किसी भी प्रकार की शिकायत हमें प्राप्त नहीं हुई है और जैसे ही कोई शिकायत मिलेगी विभाग हरकत में आ जाएगा। स्वास्थ विभाग की टीम दुकानों पर छापामारी के नाम पर कुछ दुकानों के नमुने बेशक ले रहा हो लेकिन यह सिर्फ नाममात्र का दिखावा ही है।
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